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August 9, 2016

Press Note Hindi Dt: 09/08/2016 Exposed double standards of Modi on the issue of atrocities on dalits

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शक्तिसिंहजी गोहिल का कार्यालय,

राष्ट्रीय प्रवक्ता, .आई.सी.सी., और विधायक, अबडासा

 

प्रेसनोट                                                                                                 ०९ ऑगस्ट ,२०१६

जिस तरह हाथी के खाने के और दिखाने के दांत अलग हैं ठीक उसी तरह नरेन्द्र मोदी का भी है। जब अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा या वोटों के लिए जरूरत हो तब वे अपनी विचारधारा कर्तव्य या नीतियों के खिलाफ झूठी बयानबाजी करते हैं. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और गृहविभाग भी उन्हीं के पास था तब सुरेन्द्रनगर जिले के थानगढ़ गांव में तीन दलितों की पुलिस ने गोली माकर हत्या कर दी। उस समय मोदी ने पुलिस को ऐसा क्यों नहीं कहा कि, ‘दलित भाइयों को नहीं मुझे गोली मारो’?

पुलिस की गोलीबारी में थानगढ़ के दलितों की मौत के बाद अनेक नेताओं ने दुःखी परिवार और उनके गांव का दौरा कर हालात का जायजा लिया। परन्तु मोदी थानगढ़ के दलितों के दुःख में भाग लेने या उन्हें सांत्वना देने के लिए कभी नहीं गये। जब दलितों को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस की ओर से दबाव बढ़ा तब मोदी ने थानगढ़ की घटना के लिए जांच आयोग गठित किया। इस जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट दे दी। इसे काफी समय हो गया, परन्तु मोदी ने जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं होने दी। मोदी के शासन में थानगढ़ के दलितों को अभी तक न्याय नहीं मिला।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी वाली कुर्सी पर बैठे मोदी के पास से जनता ‘मगर के आंसू’ नहीं ठोस परिणाम की आशा रखती है। दलितों पर होनेवाले अत्याचार और उन मामलों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय समिति का गठन कानूनी प्रावधानों के अनुसार हुआ है। कानून के अनुसार मुख्यमंत्रियों को इस समिति की बैठक प्रति छह महीने में आयोजित करना अनिवार्य है। कांग्रेस की सतत मांग के बाद भी श्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब इस समिति की बैठक 2007 से 2012 के दौरान केवल एक बार ही आयोजित की गयी। इसी से साबित हो जाता है कि भाजपा और मोदी की मानसिकता ही दलित विरोधी है।

यदि गुजरात में जिलावार देखा जाये तो भाजपा के शासन में एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में 91 से 97 प्रतिशत अभियुक्त निर्दोष बरी हो गये हैं, क्योंकि भाजपा की सरकार दलितों को न्याय दिलाने में गंभीर नहीं है। निर्दोष बरी हुए मामलों में अभियुक्तों के खिलाफ अपील मोदी के गुजरात के शासन के दौरान नहीं हुई। भूतकाल में दलितों और जमीन वंचित श्रमिकों को खेती के लिए जमीन दी जाती थी। परन्तु मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब से दलितों को जमीन आवंटित करना भी बंद हो गया। मोदी के गुजरात के शासन में विधानसभा मे प्रश्न के उत्तर में स्वीकृत किया गया था कि राज्य के आठ जिलों के अनेक मंदिरों में दलितों को प्रवेश नहीं है।  तारीख 01-05-2013 को थानगढ़ में दलितों पर अत्याचार हुआ। उसका रिपोर्ट तैयार है। तथा सेप्ट का छुआछूत की रिपोर्ट भी तैयार होने के बाद भाजपा सरकार इन्हें विधानसभा में पेश नहीं करती।

मोदी के गुजरात के शासनकाल के दौरान 2010 से 2014 के पांच वर्ष में गुजरात में एट्रोसिटी के 9526 मामले दर्ज हुए थे। उनमें से केवल 29  मामलों में ही सजा हुई। इनमें 1135 मामलों में अपराधी निर्दोष रिहा हो गये। अभी 8360  मामले लंबित हैं। केवल 2.97  प्रतिशत मामलों में सजा हुई। राष्ट्रीय कक्षा  पर एट्रोसिटी के मामलों में सजा प्राप्त मामलों की दर 22 प्रतिशत है, जब गुजरात में सिर्फ 2.97 प्रतिशत है।    यह भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता के कारण है।

ऊना कांड के संदर्भ में उन्होने कहा कि यह सभी को मालुम है कि दलित गाय की हत्या नहीं करते। परन्तु भाजपा के व्हीप टी राजा ने यह आक्षेप लगाया कि ऊना में दलितों ने गायें मारी थी। भाजपा नेता ने दलितों को विभत्स गालियां भी दी। पर भाजपा ने टी राजा पर कोई कार्यवाही नहीं की। हाल ही में टी राजा मोदी की आवभगत में चेन्नई हवाई अड्डे पर थे ।

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