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June 1, 2015

Press Note Hindi Dt: 01/06/2015 One year of Modi sarkar

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शक्तिसिंहजी गोहिल का कार्यालय,

राष्ट्रीय प्रवक्ता, ऐ.आई.सी.सी., और विधायक, अबडासा

 

प्रेस नोट                                                               ०१ जून,२०१५

 

  • मोदी सरकार का पूर्ण होनेवाला एक साल देश के विकास को अवरुद्ध करनेवाला वित्तीय अनुशासनहीनता से भरपूर और कुशासनवाला
  • मेक इन इंडिया की बात करनेवाले के एक साल के शासन में मेन्युफेक्चरिंग गुड्स और सर्विसीस के निर्यात में कमी
  • GVA के विकास दर में कृषि आधारित वस्तुओं का विकास मोदी शासन में 3.7 प्रतिशत से घटकर मात्र 1.1 प्रतिशत हो गया
  • मोदी शासन में राजस्व घाटा बढ़कर 5.32 लाख करोड़ हो गया
  • मोदी शासन में व्यापार, होटल, रेस्टोरेंट, ट्रान्सपोर्ट और कम्युनिकेशन का GVA का विकास 12.4 प्रतिशत से घटकर 8.4 प्रतिशत हो गया
  • मोदी सरकार का शासन नहीं होता तो पेट्रोल-डीजल काफी सस्ता होता
  • मोदी शासन में जेम्स एंड ज्वैलरी का निर्यात घट गया
  • 2013-14 में डॉ. मनमोहनसिंगजी के शासनकाल में डॉलर का औसत मूल्य रु. 60.50 था जो मोदी शासन में बढ़कर रु. 63.79 हो गया
  • मोदी सरकार ने कोयले पर सेस रु. 50 प्रति टन से दोगुनी कर रु. 100 प्रति टन की, जिससे बिजली महंगी होगी
  • सालों से डीजल पर रु. 3.45 और पेट्रोल पर रु. 9.20 प्रति लीटर उत्पाद शुल्क था जो मोदी सरकार के एक साल में पेट्रोल पर रु. 18 कर दिया गया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने कहा है कि मोदी सरकार के एक साल के वित्तीय हिसाब और प्रशासन की परिस्थिति देखे तो देशवासियों के लिए यह वित्तीय वर्ष देश की प्रगति को अवरुद्ध करनेवाला कुशासनवाला रहा।

चुनाव के समय मेक इन इंडिया, किसानों को उनकी मेहनत के पूरे दाम, युवाओं को रोजगारी, हर देशवासी के खाते मे रु. 15 लाख आएंगे, महिलाओं और देशवासियों की सुरक्षा, आतंकवाद का खात्मा, पड़ोसियों को सुधार दूंगा… अच्छे दिन आएंगे जैसे अनेक वादे करने वाली मोदी सरकार के एक वर्ष का हिसाब देखें तो परिस्थिति एकदम विपरित है।

गंगा परियोजना

उन्होने कहा कि गंगा के नाम राजनीति करने वाले मोदीजी ने गंगा के लिए इस एक वर्ष में कुछ भी नहीं किया ।प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि वे गंगा को एक वर्ष में साफ कर देंगें। उमा भारती जिन्हें गंगा के लिए बनाया गया मंत्रालय सौंपा गया है उनका कहना है कि इस काम में तीन वर्ष लगेंगें। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कार्य को देखते हुए टिप्पणी की थी  सरकार यदि इस तरह कार्य करेगी तो 200 वर्षों में भी काम पुरा नही होगा। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र पर यह दावा किया है कि वह यह कार्य 2018 तक में पूरा कर देगी।यह है प्रधान मंत्री का उनके चुनावी क्षेत्र की परियोजना की घोषणा का हाल।

मोदी के एक वर्ष के कार्यकाल ने यह सिद्ध कर दिया है कि मोदी सरकार आम आदमी की नही किंतु उनके धनी मित्रों के ही हैं।यही उन्होने गुजरात में किया और वह अब राष्ट्रीय स्तर पर गुजरात मॉडल के नाम पर कर रहे हैं। लोगों की बेरोजगारी दूर करने का वादा करने वाले मोदीजी केवल एक ही काम कर रहे हैं। वे उनके धनिक भारतीय मित्रों को और धनिक बना रहे हैं और विदेशों में घूम घूम अन्य धनिकों को भी भारत लूटो योजना में जोड़ रहे हैं।

कहां हैं रोजगार?

भाजपा का वादा था कि वह अगले 10 वर्षों में  25 करोड़ रोजगारी के अवसर पैदा करेगी अर्थात एक वर्ष में  2.5  करोड़। पर लेबर ब्यूरो के आंकड़े देखें तो  2014 की अंतिम तिमाही में केवल 1.17 लाख नौकरियां उपलब्ध कराई गईं। UPA के शासनमें ईससे ज्यादा नौकरिया उपलब्ध होती थी। आप कैसे अपना 25 करोड़ रोजगारी का लक्ष्य पूरा करेंगें?

भारत के पहले अप्रवासी प्रधानमंत्री

मोदीजी के एक वर्ष की अनेक उपलब्धियां हैं। सर्व प्रथम तो यह की उन्होने अनगिनित घोषणाए की हैं और विदेश यात्राओं का भी रिकार्ड बनाया है- 17 देशों की यात्राएं, विदेशी धरती पर 51दिन भारत के पहले अप्रवासी प्रधानमंत्री।

मोदीजी की सबसे बड़ी उपलब्धियों मे यह भी है कि उन्होने कांग्रेस को गालियां बकते हुए कांग्रेस की योजनाओं को चालू रखा जिसमे से अधिकतर को अपनी मौलिक योजना का सिक्का मार।यू पी ए सरकार के नेशनल स्किल डेवेलोपमेन्ट मिशन को मोदीजी ने अपने स्किल इन्डिया के नाम से पेश किया। मनरेगा इसका एक अन्य उदाहरण है। इसे क्या कहेंगें मोदी भारत के पहले घोषणा मंत्री या फिर रीपकेजिंग मंत्री!!

 सब क्षेत्रों में विकास दर घटा

देश में मेन्युफेक्चर गुड्स और सर्विस पर्सन्ट ऑफ जीडीपी की दृष्टि से देखें तो वर्ष 2013-14 में 8 प्रतिशत से अधिक निर्यात होता है परंतु अब मोदी सरकार के कुशासन के कारण 2014-15 में यह घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया।

कृषि और कृषि आधारित वस्तुओं तथा फिशिंग में ग्रोथ इन ग्रोस वेल्यु एडेड (G.V.A.) कोन्सटन्ट वर्ष 2011-12 की मूल्य पर्सन्ट की दृष्टि से वर्ष 2013-14 में 3.7 प्रतिशत विकास था। इस दर में वृद्धि के बदले कमी आई है और वर्ष 2014-15 में यह घटकर मात्र 1.1 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह ट्रेड, होटल, रेस्टोरेंट, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन में 2013-14 में वृद्धि 11.4 प्रतिशत थी जो मोदी सरकार के आने के बाद वर्ष 2014-15 में मात्र 8.4 प्रतिशत रह गई है। (उपरोक्त आंकडे सेन्ट्रल स्टेटेस्टीक ऑफिस (C.S.O.) द्वारा प्रकाशित 30.1.2015 और 7.2.2015 पर आधारित है।)

किसी भी सरकार की कोशिश वित्तीय घाटा कम करने की होनी चाहिए। सुशासन और वित्तीय अनुशासन जरूरी है। कमनसीबी से मोदी सरकार के एक वर्ष के प्रशासन में देश का राजस्व घाटा रु. 5.32 लाख करोड़ हो गया है। (यह आंकड़ा (C.G.A.) द्वारा जारी किया गया है) यह वित्तीय घाटा 100.2 प्रतिशत (B.E.) की तुलना में है। इतना बड़ा राजस्व घाटा कभी नहीं रहा है। कांग्रेस शासन के पिछले पांच वर्ष में यह औसत 77.7 प्रतिशत मात्र ही था।इससे मोदी शासन की वित्तीय अनुशासनहीनता उजागर होती है।

मेक इन इंडिया केवल एक जुमला

मेक इन इंडिया का केवल सूत्र दिया गया परंतु देश के उत्पादित वस्तुओं के निर्यात के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कार्य नहीं हुए जिससे कृषि और उस पर आधारित उत्पादों के निर्यात में कमी आई है। जेम्स एंड ज्वैलरी का बड़े पैमाने पर निर्यात होता था, परंतु मोदी सरकार के वित्तीय वर्ष में यह कम हुआ है। (उपरोक्त तथ्य ए एस आई और सी एस ओ के आधारभूत आंकड़ों पर से हैं)

यूपीए सरकार के सुशासन और देश के विकास के लिए निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों के कारण निर्यात बढ़ा था। वर्ष 2004-05 में मात्र 195.1 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात होता था जो बढ़कर 2013-14 में 764.6 बिलियन डालर हुआ था। वर्ष 2004-05 में जीडीपी में निर्यात का हिस्सा मात्र 29 प्रतिशत था जो यूपीए शासन में 2014-15 में बढ़कर 41.84 प्रतिशत हो गया था।

चुनावों के दौरान मोदी डॉलर का मूल्य बढ़ने को लेकर डॉ. मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहरा मजाक उड़ाते थे।  हकीकत में वर्ष 2013-14 में एक डॉलर का वार्षिक औसत रु. 60.50 था जबकि मोदी सरकार के इस वित्तीय वर्ष में जनवरी 2015 में अमरीकी डॉलर का मूल्य रु. 63.79 हो गया है। डॉलर का मूल्य बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री को असफल बताने वाले मोदी स्वयं लगाए गए आरोपों की आत्मखोज करें।

 सस्ते तेल का कोई लाभ आम आदमी को नहीं

वैश्विक बाजार में कच्चे क्रूड की कीमत में उल्लेखनीय कमी हुई है। कई देशों ने इसका लाभ उसके देशवासियों को दिया है, परंतु दुर्भाग्य से मोदी सरकार की इस कदम का लाभ देशवासियों को नही दिया और एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर देशवासियों के साथ अन्याय किया है। सालों से डीजल पर रु. 3.45 और पेट्रोल पर रु. 9.20 प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी थी। मोदी सरकार के एक साल में पेट्रोल पर एक्साइज बढ़ा रु. 18 कर दी गई। जबकि डीजल पर एक्साइज ड्यूटी रु. 12.65 कर दी। यदि मोदी सरकार नहीं होती तो देशवासियों को पेट्रोल रु. 12 प्रति लीटर और डीजल रु. 9 प्रति लीटर सस्ता मिलता।

मोदी सरकार ने कोयले पर सेस भी दोगुना कर दिया है। रु. 50 प्रति टन से बढ़ाकर सीधे ही रु. 100 प्रति टन कर दिया है। इसका सीधा असर देश की जनता पर पड़ेगा। कोयले पर सेस बढ़ने से बिजली के उत्पादन खर्च में वृद्धि होगी और स्वाभाविक है कि बिजली महंगी होगी। मोदी सरकार की इस वृद्धि से देशवासियों पर रु. 17,000 करोड़ का बोझा बढ़ गया है।

देश में महिलाओं की सुरक्षा, कानून व्यवस्था बनाए रखना और सुशासन मात्र जुमले बन गए हैं। देश में बलात्कार, खून और विविध धार्मिक स्थलों पर हमले की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। केन्द्र सरकार के कुशासन और चुनावी वादों की ओर से लोगों का ध्यान अन्य दिशा में आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री और दल की विचारधारा से जुड़े लोग धार्मिक भावनाएं उत्तेजित करने वाले धार्मिक विवाद पैदा कर रहे हैं।

बेमन मन की बात

प्रधानमंत्री ने मन बिना मन की बात के शब्दों से मात्र सजावट और राजनीतिक भाषण  किए हैं। किसानों के लिए कोई भी ठोस सहायता के शब्द केन्द्र सरकार या प्रधानमंत्री की ओर से आए नहीं हैं। किसानों की जमीन हथियाने के लिए प्रधानमंत्री जो जमीन अधिगृहण का कानून लाए हैं, वह काले कानून समान है।

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